नैनन मोरे सावन बरसे
नैनन मोरे सावन बरसे हिय की अग्न न जावै
सावन माँहि ताप ऐसो होय कोऊ विधि घटत न पावै
पिय ही बैरी होय मेरो बिरहन नित टेर लगावै
या मेरो नेह ही झूठो कहो कौन विधि नेह लगावै
अखियन ते अश्रु लेय लेय बाँवरी माला नित बनावै
कौन दिवस पिया आन मिलो मोहे तेरो गरे धरावे
क्षण क्षण विरह सर्प मोहे दँशे हिय मेरो अकुलावे
पिय पिय ही टेरो हिय मेरो और कछु नाँहि भावे
ऐसो नेह कबहुँ होय तोसे , पिय बिन प्राण न रखावे
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