झूठो सो नेह
झूठो सो नेह कियो तोसे मोहन साँचो मेरी प्रीत नाँहिं
लोक लाज न मोसों छुट्यो उर अंतर तेरो प्रीत नाँहिं
मन भागे जगत सुखन के पाछे गाऊँ तेरो प्रेम गीत नाँहिं
भाई बन्धु सखा मोहे प्यारो लागे मोहन बनायो मीत नाँहिं
मान बड़ाई को चसको मोहे लाग्यो जानूँ कोऊ प्रेम रीत नाँहिं
हा हा नाथ अबहुँ सुधि लीजौ साँचो तोसों कोऊ मनमीत नाँहिं
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