अधूरी

मैं अधूरी
मेरी जिन्दगी अधूरी
मेरी हसरतें अधूरी
मेरी चाहतें अधूरी
मेरी ख्वाहिशें अधूरी
सब अधूरा है तुम्हारे बिन
सच कहूँ
मेरी साँस भी अधूरी
हाँ
साँस कैसे अधूरी
साँस जा तो रही भीतर
पर वह तुम हो
तुम्हारे सिवा कोई छू सकेगा
नहीं नहीं
मेरी साँस तुम ही तो हो
मेरी साँस भी अधूरी
तुम बिन सब अधूरा
इस अधूरेपन का कहीँ
मुक्कमल होना है तो
वह है तुम्हारे कदम
हाँ
तुम्हारे कदमों में ही
मेरी जिंदगी मुक्कमल होगी

है तुम से ही रोशन यह कायनात मेरी
तुम बिन अधूरी ,तुमसे ही हर बात मेरी
तुमने ही दिन बनकर रोशनी दी मुझे
दिया सुकून भर बाहों में , बन रात मेरी
तुम ही अश्क़ बन बह रहे आँखों से
तुमसे ही हुई खुशी बन मुलाकात मेरी
सच लगता है मुझमें से मैं ही गायब हूँ
तुमसा होने की कहाँ है कोई औकात मेरी

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