क्यों एक सांस भी है
क्यों एक भी साँस है मेरी बिना तेरे
ज़िन्दगी कुछ नहीं है मेरी सिवा तेरे
तुमसे ही रोशन है कायनात मेरी
बिन तेरे मेरी ज़िंदगी में हैं बस अँधेरे
क्यों एक भी .....
कभी तो खत्म होंगीं ये गम की काली रातें
तुम सँग आओगे तो होंगें उजले सवेरे
क्यों एक भी .....
तेरे बिन ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी नहीं लगती
अश्क़ भी रातें और दर्द भरे दिन हैं मेरे
क्यों एक भी .......
इस जहाँ से हो चुके पराए से हम
और तेरे जहाँ में भी न मिले हैं बसेरे
क्यों एक भी साँस है मेरी बिना तेरे
ज़िन्दगी कुछ नहीं है मेरी सिवा तेरे
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