पिया जी कीजो मोहे

पिया जी कीजौ मोहे अपने प्रेम रँगाई
रँग तिहारे अँग अँग भीजे ऐसो चाव जगाई
प्रेम तृषा अति बाढ़े प्राणधन यौवन की ऋतु आई
अम्बवा की डार बौर पड़ी कोयलिया कूक लगाई
हाय पपीहा पीहू पीहू बोले पिय बिन मैं अकुलाई
जाय कोऊ पिया से कहियो दीजौ टेर सुनाई
आओ प्राणधन रँग रँगावो तोसे ही आस लगाई

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