जबते फाग चढ़यो
जबते पिया फाग चढ्यो हिय मेरो जर जर जावै
बिरहन बैठी नैन भिगोवे कौन सो व्यथा सुनावै
पिया बिन बैरी बसन्त ऋतु कोकिल कूक न भावै
बौर पड्यो हाय अम्बवा की डार पपीहा शोर मचावै
बिरहन हिय पीर नाँहि कोऊ न जाने कौन द्वारे जावै
आन मिलो पिया विलम्ब न कीजौ बाँवरी टेर सुनावै
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