तम्मना
तुझमे यूँ खो जाने की तम्मना है
मुझमे मेरे होने से भी बेचैनी हो
सुने तो सिर्फ तेरी ही बातें
मुद्दत तक खामोशी की तम्मना है
बिन तुझे देखे क्यों देखती हैं आँखें
तेरे इंतज़ार में इनको रोज़ बुहारा मैंने
यह रूह भी तो तेरे नाम हो चुकी कबसे
अब कोई और ख़रीदार नहीं ढूंढना मुझको
देखना यह सब बिखरा सा तुम्हारा ही है
खुद को मुद्दतों से न समेटा मैंने
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