दीन दयाला

दीन दयाला प्रभ कृपाला तुमसों कौन जगत माँहिं पाया
भव सागर माँहिं डोलत मेरो नैय्या आपहुँ पार लगाया
नाम रूपी डोरी ते बाँधत ही हरि मोहे आन बचाया
जन्मन की जड़ता मेरो नासी हरि नाम को चाव बढ़ाया
बलि बलि जाऊँ सद्गुरु तुमसों मेरो सगरो दोष बिसराया
मोसों कौन अधम सिरमौर जी कृपा कीन्हीं चरण बैठाया

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