गौर चरण विनय

हा हा नाथ कबहुँ दम्पति सम्पति दीजौ
जन्मन ते निर्धन हूँ नाथ मोहे साँचो धनी कीजौ
युगल नाम होवै धन मेरो मिले युगल चरण सेवा
एकहुँ भरोसा तुम्हीं नाथ मोरे दूजो कोई न देवा
विरथा जन्म बहु गये नाथ अबहुँ मेटो ताप
गौर हरि चरण गहुँ राखिहो शरण मोहे आप

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