होश तुमने चुराया
होश तुमने चुराया है अब होश में कैसे आऊँ
जाम वो पिलाये तो मदहोश क्यों ना हो जाऊँ
होश तुमने........
है नशा तेरी उल्फ़त का कोई और नशा नहीं है
तेरी अदा पर फ़िदा हैं तुझसे खफा नहीं हैँ
वो जो करें मोहबत तो होश में कैसे आऊँ
होश तुमने......
तेरी तिरछी अदा पर खुद को लुटाए बैठे हैं
तेरे ही सजदे में हम खुद को बिछाए बैठे हैं
जो तेरी खबर आए हाय ख़ुशी से ही मर जाऊ
होश तुमने.........
ये है तेरी इनायत जो मुझसे मोहबत की है
मैंने कहाँ साहिब कोई तेरी इबादत की है
तेरी इनयतों से हूँ ज़िंदा तेरे इश्क़ पर मर जाऊँ
होश तुमने......
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