कब होगा प्रेम

कब होगा मुझे प्रेम प्रिय
कब विरह मुझे सताएगा

कब भीषण अग्नि ज्वाला से
हृदय मेरा जल जाएगा

कब तुम ही तुम रह जाओगे
सब भूल मुझे कब जाएगा

तेरा नाम रहेगा याद मुझे
कुछ और याद नहीं आएगा

कब पल ना कटेगा बिना तेरे
कुछ और नहीं मुझे भाएगा

कब प्रेम की हूक उठे मन में
सब विषय नाश हो जाएगा

कब तुम ही तुम रह जाओगे
मेरा अस्तित्व ही मिट जाएगा

कब प्राण जाएंगे सूख मेरे
कब व्याकुल हृदय हो जाएगा

बस तुम ही तुम रह जाओगे
जब प्रेम मुझे हो जाएगा

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