महभविका राधिका

ईश्वर जब रचे सृष्टि मन में किये विचार
देखूं कैसा बन रहा कैसा ये संसार

मन में भाव हुआ देखने को कैसा स्वरूप्
आह्लादिनी शक्ति ईश्वर की राधा नाम अनूप

निर्गुणात्मक शक्ति ब्रह्म की सत रज तम से पार
प्रेम स्वरूपिणी राधिका महभविका अपार

देख स्वरूप् श्री राधिका प्रभु भये वष प्रेम
ऐसी अनुपम शक्ति निरख हुए लालायित सप्रेम

महाभविका श्री राधिका ईश्वर की भी ईश्वर
राधा कृष्ण युगल ही जगत का परम् माधुर्य

कण कण में बस रहा ब्रह्म रूप भगवान्
बिन प्रेम की सत्ता के ज्यूँ शिव शव समान

ब्रह्म और प्रकृति का यही प्रेम स्वरूप्
सकल विश्व में व्याप्त है बन कर अद्भुत रूप

जहां कृष्ण हैं राधिका बन आईं उनके प्राण
बिना राधिका कृष्ण भी ब्रह्म पुरष ही जान

ईश्वर का स्वरूप् जो स्त्री रूप में आया
ईश्वर की भी ईश्वरी श्री राधिका नाम धराया

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