तुझे आना होगा
हद से बढ़ रही है बेकरारी तुझे आना होगा
देख वादा किया जो तुमने निभाना होगा
हद से बढ़........
मुझको दीदार की तलब हो रही कब से
दरमियाँ जो पर्दा है साहिब ये हटाना होगा
हद से बढ़.........
ना जाने कितने पैगाम सुना चुकी तुमको
अब तुम्हें हाल ए दिल अपना सुनाना होगा
हद से बढ़............
फुरस्तों के दौर जाने कब जिंदगी में आएं
अभी हलचल भरी बस्ती में रह जाना होगा
हद से बढ़...........
गुस्ताखियाँ जो मेरी थीं भुला दो तुम उनको
है मोहबत तो मुझे यूँ ही अपनाना होगा
हद से बढ़..........
मुझको रोकें है तुझे मिलने से मेरे शहर के लोग
मज़बूर हूँ मैं बहुत पर तुझे आना होगा
हद से बढ़........
बैठी हूँ चौखट पर इंतज़ार है मुझको तेरा
है उम्मीद मुझको मेरे महबूब का आना होगा
हद से बढ़.........
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