आज इश्क़ की
आज इश्क़ की बरसात कर दो सनम
ना खत्म हो कभी ऐसी रात कर दो सनम
आज इश्क़ की......
जाने कबसे है तपिश दर्द है जलने का
रुक गयी साँस मेरी नाम ना ले चलने का
आज मुक़म्मल वो अधूरी मुलाकात करदो सनम
आज इश्क़ की.......
हर तरफ इश्क़ ही तेरा मुझे नज़र आता है
देखती हैँ मेरी नज़रें जो तू दिखाता है
अब तो हसीन ये कायनात करदो सनम
आज इश्क़ की......
हो इश्क़ की बरसात और मैं भीग जाऊँ
तेरे बिन याद रखूं ना सब ही भूल जाऊँ
मुझ पर अब इतनी इनायात कर दो सनम
आज इश्क़ की.......
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