श्री चरणों से प्रेम

हाय मुझे श्री चरणों से प्रेम क्यों नहीं होता
ऐसे हो सांप काट जाए मुझे
जल जाऊँ
तड़प जाऊँ
क्यों नहीं लग रही मुझे ये प्यास
क्यों मेरे मन में ये भाव नहीं आ रहा
क्यों शून्यता भर गयी
हटा दो
इस शून्यता को
हटा दो
उन चरणों को छोड़
बाक़ी सब क्यों अच्छा लग रहा
वस्तुतः अच्छा कुछ है नहीं
मुझे क्यों लगे
क्योंकि अभी मुझे अनुराग ही नहीं हुआ
कोई सेवा का भाव ही नहीं जगा
क्यों नहीं सोचा
की श्री जी कैसे प्रसन्न हों
क्यों उनके चरणों के सिवा मन
इधर उधर जाता है
हाय
धिक्कार है ऐसे जीवन पर
जिसमें श्री चरणों का
अनुराग नहीं जागा
जिसमें उनके बिना शेष सब
अच्छा लग रहा
बड़ा सुखमयी लग रहा
हाय
धिक्कार है
कोटि कोटि
जो इस इच्छा के बिना भी
स्वास् चल रही
हाय
ये इच्छा कब होगी मुझे
श्री जी
आप ही कृपा करो ना
दो मुझे ये इच्छा
यही इच्छा भर जाए
आपकी करुणा क्यों रुक गयी
आपने तो कभी पात्र कुपात्र नहीं देखा
मैं तो सबसे अधिक कुपात्र
ये आपकी इच्छा
किशोरी
आप ही करो
मैं तो अधम हूँ
पर मन में एक बात है
जैसी भी हूँ
आपकी ही हूँ
मुझे रख लो
मुझे रख लो
😭😭😭😭😭😭

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