कोई तो मोहन को

कोई तो मोहन को हाल सुनाओ री
सखी !
रूठ गए मोहन आज मनाओ री
रूठ गए कान्हा आज मनाओ री
कोई तो मोहन को.......

कान्हा ने क्यों मेरे मन को चुराया
छोड़ गए फिर नहीं अपना बनाया
बाँवरी ने पल भी चैन ना पाया
जाकर मेरा कोई दर्द दिखाओ री
कोई तो मोहन को.......

मानते नहीं सखी पिया निर्मोही
इनको किसी से नाता नहीं कोई
हाय मैं रो रो बाँवरी क्यों होई
छिपे मनमोहना ढून्ढ कर लाओ री
कोई तो मोहन को......

बिन मोहन लगे देस बेगाना
आओ पिया तुमको प्रेम निभाना
प्रीत लगा कर छोड़ नहीं जाना
कह दो उनको प्रीत निभाओ जी
कोई तो मोहन को.......

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