कैसो निरखूं
कैसो निरखुँ कैसो सुख होये
लखे ना नैन तुझे हिय मेरो रोये
छवि ना श्याम की मन माहिं आवे
बाँवरी रोये काहे सुधि बिसरावे
जप तप सयंम नहीं साधना आराधना
कौन विधि सखी श्याम मेरो होये
ज्ञान हीना भक्ति हीना अधम पातकी
श्याम किस विधि मिलना होये
प्रेम पाठ जानूँ ना सखी कछु
किस विधि मोहन को रीझना होये
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