किशोरी तोरे

किशोरी तोरे पद पंकज को आस
कब देख्यो अधिकारी तुमने कोई ना भयो निरास
किशोरी तोरे......

हूँ अधमी कुटिल और पातकी जैसो भी हूँ तेरी
तुम बिन जाऊँ कहाँ लाडली तुम ही लो सुधि मेरी
तेरा नाम जो पल भी भूलूँ देना नहीं इक स्वास्
किशोरी तोरे.......

कृपा की कोर बनाये रखियो मुझको नहीं बिसारो
हाय रही भटकती जन्मों नहीं पाई ठौर तिहारो
अबकी बेर नहीं करो देरी पूर्ण कीजो आस
किशोरी तोरे........

लग्न लगे मोहे तेरो चरणन की ऐसी मुझको श्यामा
तेरो चरणन की ठौर मिले तब पाये मन विश्रामा
रखोगी निज दासी मोहे यही तृष्णा यही प्यास
किशोरी तोरे.....

तुम्हारी कृपा से मेरी स्वामिनी सब सम्भव हो जाये
तेरो चरणन में रहे मन मेरो कभी भटक ना जावे
और कछु ना चाहे बाँवरी एक यही अभिलाष
किशोरी तोरे.......

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