सखी री आयो कान्हा
सखी री आज आयो कान्हा मोरे अँगना
मोसो करत है बरजोरी कपटी बड़ो नन्दजू को ललना
सखी री.....
जसोदा को लाल करे बड़ो ही ढिठाई
याने सखी मेरो सुधि दी बिसराई
मरोर गयो बैयाँ मेरो टूट गयो सखी मेरो कंगना
सखी री......
माखन की मटकिया फोड़ दीनी सगरी
कैसो लाऊँ पनिया मेरी छीन लियो गगरी
संग संग रहे मेरो जब जाऊँ जमुना
सखी री.......
मैया जसोदा लला घर ही रख लीजो
बैरी को और कहीँ जाने नहीं दीजो
सबसे लड़त रह्यो तोहे कियो कभी तंग ना
सखी री.........
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