तुम हो तुम हो तुम ही तो हो
तुम हो तुम हो तुम्ही तो हो मेरे जीने की वजह
तुमसे तुमसे तुमसे ही मुझे तुमसे इश्क़ हुआ
क्यों हैं दरमियाँ अपने इतनी दूरियां
मिलकर भी क्यों न मिल रहे क्यों हैं मजबूरियां
मिलकर भी छुप रहे ऐसी तेरी अदा
तुमसे तुमसे तुमसे ही.......
बढ़ जाती है तड़प मेरी क्यों नहीं आते हो
क्या तुमको नहीं इश्क़ हुआ क्यों तुम सताते हो
नाज़ुक सा है दिल मेरा और कितनी है सज़ा
तुमसे तुमसे तुमसे ही........
हटती नहीं क्यों चिलमने दीदार तेरा हो
बेकरार दिल मेरा है जाने कब तेरा हो
खामोशियाँ भी पूछती हैं अब तेरा ही पता
तुमसे तुमसे तुमसे ही ..........
Comments
Post a Comment