पत्थर दिल
पत्थर का है दिल ये मेरा
जो इश्क़ तुम्हें नहीं कर पाया
मुझपर तुम क्यों करोगे निगाह
जो इश्क़ तुम्हें नहीं कर पाया
नहीं तराशी गई कोई मूर्त
ऐसे पत्थर दिल ये मेरा
जो होता थोडा नर्म मोम सा
छप जाता फिर रूप तेरा
ऐसा सख्त पत्थर दिल ये
जिसमें अक्स ना कोई उभरा
क्या बनेगी मूर्त कोई भी
इसको तराश ना कोई सका
कभी सोचा दिल टूट गया है
इतना सख्त ये ना टूटा
हर पल रहा भरम में ये
हो पानी में कोई अक्स झूठा
नहीं टूट सकता पत्थर दिल ये
चाहे चोट लगे अब जितनी
है पत्थर तू पत्थर ही रहेगा
कोशिश कर ले तू कितनी
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