सखी री कहाँ गयो

सखी री !
कहाँ गए पिया मेरो
पिया बिना नहीं कछु मोहे भावे हिय मोरे पीड़ घनेरो
सखी री !.......

ढून्ढ रही सखी यमुना तट पर
मिला ना मोहन हाय पनघट पर
निरख निरख सखी नैन थके मोरे
पिया जी बंसी धुन अब टेरो
सखी री !.........

ग्वाल बाल सों पता मैं पूछ्यो
वन वन यमुना तट पर देख्यो
भई बाँवरी राह तकत हाय
नहीं मिल्यो अबहुँ पिया मेरो
सखी री !........

पिया तेरो ही संग मोहे भावे
बिना पिया मोहे साँस ना आवे
बलि बलि जाऊँ मैं अपने पिया की
जिन चरणन सुख पायो घनेरो
सखी री !.........

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