आ जाइये
कभी कभी तन्हाई भी भा जाती है मुझे
सरकते हुए परदों से याद तेरी आती है मुझे
तेरी याद है साथ मेरे और ये तन्हाई है
जाने क्यों किस्मत में मेरी ही रुस्वाई है
जाने क्यों साहिब ने मुझसे मुख मोड़ा है
जाने क्यों यूँ बेचैन मुझे छोड़ा है
काश मुझसे मिले कभी तो बात करलूं
आ जा कभी एक मुलाकात करलूं
आ भी जाओ मुझे साथ तेरे जीना है
हौंसले पस्त हैं मझधार में सफीना है
किस कद्र रूह ये सिसकती है
तड़पती है पल पल आह भरती है
हाँ मैंने कब कहा की मुझे इश्क़ है तुमसे
जाने क्यों होश मेरे हुए हैं गुम से
क्यों एक अलग ही दुनिया में खोई हूँ
ना तो जागी हूँ न आँख भर सोई हूँ
जाने किस घड़ी जागेंगे नसीब मेरे
जाने किस घड़ी होंगे साहिब करीब मेरे
आँख बन्द होती है मगर ख्वाब को तरसती हूँ
जाने क्यों सावन की बदरी सी बरसती हूँ
तू नहीं तो बता किसको दिल की बात बताऊँ
सब छुपा लूँ दुनिया से किसी को क्या दिखाऊँ
जाने क्यों लफ्ज़ भी खामोश होना चाहते है
हम तेरी बाँहों में बेहोश होना चाहते हैं
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