मैंने देखी है

मैंने देखी है साहिब क्या इश्क़ तेरे में मस्ती है
  मैं कैसे करूँ साहिब मेरी क्या हसती है
मैंने देखी है......

तेरे चाहने से अब तेरा इश्क़ ही इबादत मेरी है
है तेरी नज़र साहिब मुझ पर ये भी तो इनायत तेरी है
अब देखूँ जिस भी ओर सदा तेरी रहमत ही बरसती है
मैंने देखी है......

जब दिल में तेरा ख्याल आये की तुम नहीं हो पास मेरे
फिर जान निकलती जाती है जो तुम ना बनो एहसास मेरे
तेरी एक झलक के लिए साहिब रूह जाने कब से तरसती है
मैंने देखी है........

तुम जान मेरी ले जाते हो जब पास नहीं तुम मुझे लगते
जाने कैसे एहसास हुए जाने कितने फिर दर्द जगते
तेरा नाम ही लेकर पुकारे  पल पल ये रूह सिसकती है
मैंने देखी है.......

जब पास मेरे तुम होते हो दुनिया ही बदल मेरी जाती है
मैं देखूं जिस भी ओर साहिब तेरी मोहबत ही नज़र आती है
तेरे चाहने से ही मालिक मेरे अब
ज़िन्दगी मेरी संवरती है
मैंने देखी है.........

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