पिय पिय रटत
पिय पिय रटत सखी री मैं भई बांवरिया
अबहुँ ना मोहे भेज्यो संदेसा निष्ठुर बड़ो सांवरिया
पिय पिय रटत.......
तेरो नाम जपत रही हर पल अब कछु नाही भावे
पिय पिय नाम रटे हिय मेरो ओरहुँ नाम ना आवे
पिया प्रेम से छलक रही सखी मेरो प्रेम गगरिया
पिय पिय रटत........
कबहुँ पिया मेरो सुने सखी री कबहुँ सुने मम बाती
कबहुँ पीर हटे मम हिय सों कबहुँ नींद होय राती
कबहुँ निरखुँ मनमोहन मुखड़ो कबहुँ सुनूं बाँसुरिया
पिय पिय रटत.......
भई बाँवरी तेरो पिया जी पल भी चैन ना आवे
ताप बड़े हिय को मेरो बिरह अगन हाय जलावे
आन मिलो मम प्राण सखे अब लीजो मेरी खबरिया
पिय पिय रटत.......
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