नहीं पाऊँ चैन सखी
नहीं पाऊँ चैन सखी बिरह मेरो हिय जलावे
कोउ तो जावे श्याम सुंदर सों सन्देस लावे
रात दिन बाँवरी तेरी श्याम श्याम रटत है
ऐसो पिया निष्ठुर भयो हाय कब लौट आवे
बिरहों सो शूल मेरो हिय चीर देत सखी
पीर ऐसो भारी होवे सही नहीं जावे
श्याम श्याम रटत ही बाँवरी इत उत् डोलूं
वन वन खोजूं कब श्याम मेरो आवे
पात पात पूछ्यो मैं कोउ ना संदेसा मिल्यो
हाय सखी बिरह पीर हिय को जलावे
ऐसो ताप बढ्यो सखी जल जल मर जाऊँ
राख ढेर पड्यो रहे जबहुं श्याम ना आवे
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