आज इश्क़ की कटार

आज इश्क़ की कटार चलाओ मुझ पर तुम
आज मेरा कत्ल होने का ही इरादा है
यूँ दर्द रहता है तेरी जुदाई का मुझे
आज जाने क्यों ये बेदर्द दर्द ज्यादा है

तुम मिलो मुझको मेरी आरज़ू है यही
एक मेरी आखिरी हसरत बन गए हो तुम्हीं
हाँ निभाओगे यकीन है मुझे तुम पर
इश्क़ में किया जो तुमने वादा है
आज इश्क़ की.......

नहीं कटती रात अब तेरी जुदाई में
हाँ तुझको ही पुकारते हैं हम तन्हाई में
जी नहीं सकेंगे हम साहिब तेरी रुसवाई में
तू तो अपना किया हर वादा निभाता है
आज इश्क़ की.......

जो रही है इंतहा प्यारे सब्र की मेरे
रात दिन रहते हैं बस दिल में ख्याल तेरे
हम तो मारे हैं अदाओं के तेरी साहिब
दिल मेरी दर्द से ही अपना घर सजाता है
आज इश्क़ की........

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