जाने कब

जाने कब ये अश्कों से भीगी रात जाए
जाने कब होंठों से तेरी बात जाए
जाने कब बन जाए वजह तू मेरे जीने की
जाने कब भीगती हुई ये बरसात जाए

जाने कब आगोश में भरोगे मुझे
जाने कब इश्क़ तुम करोगे मुझे
जाने कब दिल को मेरे करार आए
जाने कब पतझड़ जाए और बहार आए

जाने कब तू ही तू बस रह जाए
जाने कब लहू बन मुझमें ही बह जाए
जाने कब वो मुरादों वाली रात आए
जाने कब दिल में मेरे ऐसे जज्बात आएं

मुझको इस पल को ही साथ तेरे जीना है
जाने कितने पल गुज़रे कितने बाक़ी है
जो पल हैं मुझको है जीना इनमें ही
जाने कितनी ज़िन्दगी की सौगात बाक़ी है

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