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Showing posts from January, 2017

बिरहन कबहुँ

बिरहन कबहुँ पिय को देखे नित नित उर रह्यो अकुलाय पुनः पुनः द्वार दृग कोर निहारे पिय अबहुँ आय अबहुँ आय विधना कैसो भाग लिखे री बाँवरी बैठी नीर बहाय आन मिलो अबहुँ पिय प्यारे व्...

पिय सों पाती

पिय सों भेजूँ सखी पाती नैनन नीर ही स्याही करूँ बिन प्रियतम क्षण क्षण अकुलाउँ कैसो सखी मैं धीर धरूँ पिय बिन कैसे जियूँ क्षण क्षण विरह अग्न ही जरूँ बाँवरी होय रहूँ कछु ना सुह...

तेरी यादों में

तेरी यादों में सुलगना ही ज़िन्दगी मेरी यूँ ही अश्क़ों से भीगना बन्दगी मेरी है इश्क़ तुमको ही ये दिल कहता है तू भी कभी देख ले आवारगी मेरी तेरी यादों ........ मैंने कहाँ तुझसे दिल लगाया...

काहे रे पपीहरा

काहे रे पपीहरा तू पीहू पीहू गावै नित बिरहन को जिया जरावे मत कूक री तू कोयलिया कारी रुत यहां होय अबहुँ बसन्त वारी पिया बिन मोर काहे नाच दिखावै बिरहन पर कोऊ तरस न आवै मेघा काह...

युगल संगिनी

नित्य निकुंज युगल संगिनी और क्या आशीष चाह्वे नित्य नित्य सेवा सुख पावै दासी होना चाह्वे नित्य ध्यान धरे युगल चरण को नित्य निकुंजन जावै मुख ते और कोऊ नाम नाय निकसे राधा रा...

भूमिका

जय जय श्यामाश्याम             श्री युगल की किसी भी लीला को उनके किसी भाव को कहने या लिखने का सामर्थ्य मुझ जैसे मलिन जीव में नहीं। सदा अनुभूत की उनकी कृपा उनका ही प्रेम शब्द ब...

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जय जय श्यामाश्याम    विरहणी तितली 1        विरह की पीड़ा सच में बहुत कष्ट देती है। परम् भाव रूपी गोपियों ने श्री श्यामसुंदर का विरह किस प्रकार जिया है ये तितली पुनः पुनः अनुभ...

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जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 3 श्री श्यामसुंदर श्री प्रिया के सामने खड़े हैं , श्री प्रिया जड़वत बैठी है । श्यामसुंदर यह भी नहीं समझ पा रहे कि प्रिया जु को संबोधित भी किस प्र...

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जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 4 ब्रजमण्डल में भोर अपना अलौकिक सौंदर्य बिखेरते हुए प्रकट हुई है, परन्तु आज पूर्व दिशा की लालिमा विरह अग्नि की लपटों के समान प्रतीत हो रही ह...

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जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 2 अभी ये तितली उड़ती हुई वन की ओर गयी है जहां श्री प्रिया एक वृक्ष के नीचे बैठी हुई है। बैठी ही क्या बस प्राणों को जैसे तैसे रोके हुए है। जब से सखि...

तितली5

जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 5 श्री कृष्ण अपने अग्रज भ्राता बलदाऊ संग रथ में सवार हैं और अक्रूर जी ने रथ को नन्दभवन से आगे ले जाना आरम्भ किया है, ये तितली अपने प्रियतम कान्...

अपने अश्कों से

अपने अश्कों से चल आज सजा दूँ तुझको इक नाकाम सी कोशिश की भुला दूँ तुझको शायद शौक रखते हो तुम खेलने का मुझसे चल महबूब दो घड़ी आज खेला दूँ तुझको अपने अश्कों से ....... सच तो ये है मुझे कभ...