पिया बिनहुँ

पिया बिनहुँ धरिहों ना देह माँहि प्राण
काटे कटत नहीं ये जीवन लागै शूल समान
पिया बिनहुँ .........

मुझ बिरहन को दुःख होय भारी
काहे पिया मोहे दीन्हीं बिसारी
हिय की पीर होय ज्यूँ जल बिन मीन समान
पिया बिनहुँ ........

पुनः पुनः बाट निहारूँ पिया तेरो
पिया बिनहुँ जीवन घोर अंधेरो
अबहुँ पिया काहे कीन्हो विलम्ब मिल्यो हाय आन
पिया बिनहुँ ........

हिय की अग्न मोहे क्षण क्षण तपावे
हाय पिया बिन गरवा कौन लगावे
काटे नहीं कटे रतियाँ मोरी होय विष समान
पिया बिनहुँ धरिहौ ना देह प्राण
काटे नहीं कटत ये जीवन लागै शूल समान

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