कौन सुने हिय की पीर

आलि री !
कौन सुने हिय की पीर
हाय पिया नेक धीर धराओ बाँवरी भई अधीर

नैनन नीर झरै दिन रैना
पिया बिन कबहुँ आवे चैना
खावन पीवन सूझत नाँहि कंटक भयो सरीर
आलि री !
कौन सुने हिय की पीर
हाय पिया नेक धीर धराओ बाँवरी भई अधीर

हिय अपनों कहो कैसो सम्भारूँ
तड़पत तेरो ही नाम उच्चारूँ
बाट निहारूँ कबते श्याम तेरो बैठी यमुना तीर
आलि री !
कौन सुने हिय की पीर
हाय पिया नेक धीर धराओ बाँवरी भई अधीर

हिय की पीर समझे कौन तुम बिन
पिया पिया टेरत रहूँ मैं निश दिन
बिरहन की पीर काटो पिया मेरो कैसो धारुं धीर
आलि री !
कौन सुने हिय की पीर
हाय पिया नेक धीर धराओ बाँवरी भई अधीर

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