काश तुझसे इश्क़
काश तुझसे इश्क़ की कोई होती मुझे आरज़ू
काश पत्थर दिल मेरा कभी करता कोई ज़ुस्तज़ु
काश कभी इन आँखों से टपकते दो अश्क़ कभी
काश कभी तमन्ना होती मुझको ही इश्क़ कभी
काश कभी दिल मेरा तेरे लिए बेताब होता
काश कभी इन आँखों में तेरा ही ख्वाब होता
काश कभी तेरे दिल की धड़कनें सुन पाती
काश कभी दुनिया को छोड़ तुझको चुन पाती
काश कभी दिल मेरा तेरे दर्द में रोता
काश कभी ये तेरे इश्क़ में बेचैन होता
हो ना पाया ये मुमकिन कभी जागती तेरी प्यास
दूर फिर रहते तुम कैसे रहते मेरे दिल के पास
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