अपने अश्कों को

अपने अश्कों को दुनिया से छिपाना सीख़ लिया
अब तेरी याद में खुद को जलाना सीख़ लिया

बहुत छटपटाये थे हम तुझसे बिछड़ने के ख़याल से
अब इन गमों से ही दिल को बहलाना सीख़ लिया
अपने अश्कों को .......

कभी तो ज़ुबान से भी तेरा चर्चा न हुआ
कभी तेरी उल्फ़त में ये ग़ज़ल गाना सीख़ लिया
अपने अश्कों को .......

तुम ही तुम रह जाओ अब जहन में मेरे
हमने तुम्हें याद करते करते खुद को भुलाना सीख़ लिया
अपने अश्कों को ........

कभी तेरा ख्याल ही बेहाल कर देता था मुझे
अब गहरे से दर्दों को भी हमने दबाना सीख़ लिया
अपने अश्कों को.......

बहुत बेचैन है रूह मेरी तेरे बिना ज़िन्दा क्यों हूँ
अब हमने अपने बहते जख्मों को सहलाना सीख लिया
अपने अश्कों को दुनिया से छिपाना सीख़ लिया
अब तेरी याद में खुद को जलाना सीख़ लिया

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