कोई हसरत न रही
कोई हसरत नहीं मुझमें तुमसे दिल लगाने की
तू भी कोई साजिश करले महबूब मुझे मिटाने की
देख मुझसे इश्क़ करके तू भी पछतायेगा
मुझको आदत है सदा बेवफा हो जाने की
कोई हसरत नहीं मुझमें ......
मैंने कभी इश्क़ न किया बस नुमाइशें ही सदा
ख़ाली सा दिल है मेरा पर आदतें दिखाने की
कोई हसरत नहीं मुझमें .......
नहीं औकात मेरी ऐसी तुझे निगाह भर भी देखूं
हूँ खतावार मुझे आदतें दिल दुखाने की
कोई हसरत नहीं मुझमें ......
क्यों ज़िन्दा हूँ हर साँस ही बेकार मेरी
नहीं आदत मेरी कोई वफ़ा निभाने की
कोई हसरत नहीं मुझमें......
चल कुछ और न कर रूठ जा मुझसे यार मेरे
एक कोशिश ही कर लूँ आज तुझे मनाने की
कोई हसरत नहीं मुझमें तुमसे दिल लगाने की
तू भी कोई साज़िश करले महबूब मुझे मिटाने की
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