वो यूँ भी इश्क़ करते हैँ

वो यूँ भी इश्क़ करते हैं ह्मसे
कि दूर दूर रहकर भी मुस्कुराते हैँ
हम उनको देख देख भरते हैं आहें
और वो पर्दे में छिपे जाते हैँ

हम खड़े मुद्दत से फैला कर बाहें
और वो गले से न लगाते हैँ
रहने देते यूँ ही इश्क़ न करते हमसे
दिल लगा कर अब दिल जलाते हैं

किसको कहें अपने दिल की बातें हम
हम तो यूँ ही बातें सब बनाते हैं
यूँ बेकरार करके छोड़ दिए हमको
आदत है आपकी आप यूँ ही तरसाते हैँ

हाँ दिल जलाने का ही मज़ा है तुमको
हम खुद को ही अब जलाते हैँ
मेरे रोम रोम में घुला इश्क़ तेरा
मर चुके तुमपर हम कहाँ जी पाते हैं

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून