दर्द हूँ मैं
दर्द हूँ मैं छेड़ना ना बिखर जाऊँगी
मुझसे दर्द ले लिया तो मैं किधर जाऊँगी
मुझको मेरे दर्द ही इतने अजीज हो चले
खुद ही रख लूँगी किसी को न दे पाऊँगी
दर्द हूँ मैं.....
ग़र तुझे इश्क़ है मुझसे तो इतनी इनायत करना
दर्द ही देना मैं दर्दों में ही समा जाऊँगी
दर्द हूँ मैं .......
दिल में तूफ़ान उठें रग रग में दर्द मचले
तूने ग़र इश्क़ किया तो न सम्भल पाऊँगी
दर्द हूँ मैं .......
जा महबूब लौट जा तू अपनी रँगीली गली
अपनी बर्बादी का जश्न मैं अकेले मनाऊँगी
दर्द हूँ मैं छेड़ना ना बिखर जाऊँगी
मुझसे दर्द ले लिया तो मैं किधर जाऊँगी
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