तुम इश्क़ तुम इबादत मेरी

तुम इश्क़ तुम इबादत मेरी
मेरी बेखुदी तुम्हीं चाहत मेरी
खो जाऊँ तुममें कुछ इस क़दर
तुम बन आओ ऐसी आदत मेरी

तेरा ही इश्क़ घुल रहा फ़िज़ाओं में
तू महक बन घुल रहा हवाओं में
तू ही इश्क़ तू ही जुनून मेरा
तुम ही बन गए इबादत मेरी

लौटना ना कभी दिल की गली से
साहिब अब ये घर तुम्हारा है
तुम बिन कहाँ जी पाएँगे हम
ऐसी नशीली सी है उल्फ़त तेरी

हाँ तेरा नशा है नस नस मेरी
ये सब तेरा इश्क़ ही महबूब मेरे
कितने रंगों से भर दी ज़िन्दगी मेरी
मुझपर साहिब हो गयी अब रंगत तेरी

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