साथ हो तुम

जो साथ हो तुम इस दिल में तपिश क्यों है
मेरी इन आँखों में सावन की बारिश क्यों है

मुझको ही गैर समझ रखा है मेरे दिल ने
आज मेरे साथ हुई ऐसी साजिश क्यों है
साथ हो तुम ......

महफ़िलों में भी खुद को तन्हा देखते हैँ
ऐ खुदा वक़्त की ये ऐसी रंजिश क्यों है
साथ हो तुम ......

अब तो दम न रहा सांसें भी छूट जाएँ
इश्क़ में देनी पड़े ऐसी आजमाइश क्यों है
साथ हो तुम .....

अश्क़ हैँ आहें हैँ रोती हुई बेबसी है
इश्क़ की कहो सब ये पैदाइश क्यों है
जो साथ हो तुम इस दिल में तपिश क्यों है
मेरी इन आँखों में सावन की बारिश क्यों है

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