नस नस में बसा
नस नस में बसा है इश्क़ तेरा
यहाँ लहू नहीं तेरा इश्क़ ही है
लगा है ये मर्ज़ जो इश्क़ का ही
कोई दवा नहीं तेरा इश्क़ ही है
इस बेचैन रूह को चैन मिले
कोई दुआ नहीं तेरा इश्क़ ही है
दे कतरा कतरा मौत मुझे अब
जो जिन्दा यहाँ तेरा इश्क़ ही है
है रंगीन ये कायनात सारी देखो
हर और दिखा तेरा इश्क़ ही है
क्या साँसों का हिसाब लोगे तुम
अब आता जाता तेरा इश्क़ ही है
टूटते टूटते हम बिखर ही गए थे
जिसने सम्भाला तेरा इश्क़ ही है
अब जिन्दा हैं या साँसें चले मेरी
देखने वाला तेरा इश्क़ ही है
क्यों कहूँ तू आकर मिल जा मुझे
यहां बाक़ी बचा तेरा इश्क़ ही है
दुनिया ने सितम पर सितम किए
दुआ बन मिला तेरा इश्क़ ही है
Comments
Post a Comment