आज मुझपर एक इनायत

आज मुझपर एक इनायत करना
मुझपर दर्दों की कोई बारिश करना

दर्द ही दर्द रह जाए जिस्म ओ जां में
तुम कहीं जाकर मेरी थोड़ी सिफारिश करना
आज मुझपर ....

कत्ल करना न तड़पता ही छोड़ना मुझको
ज़र्रे ज़र्रे में मेरे ऐसी तपिश करना
आज मुझपर .......

ग़र है तुझको मोहबत मुझसे ए यार मेरे
मेरे ख़िलाफ़ कोई आज तू ही साज़िश करना
आज मुझपर .......

नहीं जीना मुझको एक भी पल तेरे बिना
जला दो दिल मेरा आज तुम मुझे आतिश करना
आज मुझपर एक इनायत करना
मुझपर दर्दों की कोई बारिश करना

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