बस इतना सा बता दे
बस इतना सा बता दे लम्बी जुदाई क्यों है
मेरे नसीब में इश्क़ नहीं इतनी तन्हाई क्यों है
दर्द जितने चाहे मुझे दे मेरे दिल की बात सुनले
तू खुश रहे सदा ही मेरी रुस्वाई क्यों है
बस इतना सा ........
मुझे दर्द इतना देना मेरा वजूद रहे ना बाक़ी
मेरी हस्ती को मिटा दे आखिर बचाई क्यों है
बस इतना सा .......
जाने क्या मचलता है तूफ़ान बनकर उठता है
तेरे इश्क़ ने मेरे दिल में खलबली मचाई क्यों है
बस इतना सा .......
बेकार हो चुके हैँ किसी काम के ना रहे रब
फिर भी इस दुनिया ने मुझसे उम्मीद लगाई क्यों है
बस इतना सा .......
नहीं था ग़र निभाना तो मुझसे इश्क़ क्यों लगाया
अपने मिलने की उम्मीद इस दिल में जगाई क्यों है
बस इतना सा बता दे लम्बी जुदाई क्यों है
मेरे नसीब में इश्क़ नहीं इतनी तन्हाई क्यों है
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