कोऊ कहियो मोहन सो जात
कोऊ कहियो मोहन सों जात
बिरह ताप बढिहे हिय भीतर हिय माँहि नहीं समात
पीर हरो साँवल अबहुँ मेरो
नैनन आन विराजो प्यारे नैन मेरो झर झर जात
हिय की पीर कौन सों कहिये
जो कोई प्रेम की पीरा समझे सोई समझे बात
कोऊ कहियो मोहन सों जात
बिरह ताप बढिहे हिय भीतर हिय माँहि नहीं समात
पीर हरो साँवल अबहुँ मेरो
नैनन आन विराजो प्यारे नैन मेरो झर झर जात
हिय की पीर कौन सों कहिये
जो कोई प्रेम की पीरा समझे सोई समझे बात
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