प्रियतम बिनहुँ

प्रियतम बिनहुँ काहे राखिहे प्राण
प्रेम वहिन मैला उर अंतर ज्यूँ घट जात मसान

कबसे मग जोवत तेरी नन्दनन्दन
व्याकुल हिय का सुनिहे क्रन्दन
नित नित तड़पे तेरी बिरहन जल बिन मीन समान
प्रियतम ....

कबसे मग जोवत तेरी नन्दनन्दन
व्याकुल हिय का सुनिहे क्रन्दन
नित नित तड़पे तेरी बिरहन जल बिन मीन समान
प्रियतम.....

कोऊ देस बसे पिया मेरे
बिरहनी क्षण क्षण पिया पिया तेरे
विरह पीर उठ्यो अति भारी आप ही करो निदान
प्रियतम.....

प्रीत की अटपट रीत मैं देखी
हार में ही अपनी जीत मैं देखी
आवो नटवर मनमोहना प्यारे मुख भयो मेरो म्लान
प्रियतम.....

जो जानती दुःख होय अति भारी
ऐसी दशा भी क्या होगी हमारी
मैंने क्या कोई बात बिगारी तलफत मेरो प्राण
प्रियतम बिनहुँ काहे राखिहे प्राण
प्रेम वहिन मैला उर अंतर ज्यूँ घट जात मसान

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून