मेरे हिस्से में क्यों

मेरे हिस्से में क्यों तुझसे जुदाई आई
तुझसे कोई इश्क़ न हुआ क्यों बीच खुदाई आई

ग़र होता इश्क़ कभी दिल तेरा भी रोता कहीँ
क्या तुझको दर्द की कोई घड़ी दिखाई आई
मेरे हिस्से में ......

है तुझे भी शौक रोज़ मुझको जख़्म देने का
दे थोडा सा सुकून कब ऐसी दवाई आई
मेरे हिस्से में ........

चल तू भी खुश रहना जो भी दिल हो तेरा
मेरे पास न तू आया न तेरी परछाई आई
मेरे हिस्से में .......

हूँ मुझरिम मैंने न तुझे कभी सज़दा किया
ना इबादत हुई तेरी न कोई कमाई आई
मेरे हिस्से में ......

है तू खुदा ही है तू नहीं है इश्क़ मेरा
मेरे नसीब में जलती हुई तन्हाई आई
मेरे हिस्से में .......

तुझको यूँ कहना ही मेरी है खता मुझको पता
रूह बेचैन है जब तलक न तुझमें समाई आई
मेरे हिस्से में क्यों तुझसे जुदाई आई
तुझसे कोई इश्क़ न हुआ क्यों बीच खुदाई आई

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