मो सम अधमन की

मो सम अधमन की क्या होवै पहचान ।
श्यामा श्याम विरह ना हिय माँहि कीन्हो न मुख म्लान ।।

नित नित रमण करूँ विषयन सों हिय प्रेम ते हीना ।
कौन से मुख ते युगल सों कहिहौ मोहे चाकर कीन्हा ।।

कबहुँ ना श्यामा श्याम भजिहे कैसो पतित हूँ प्राणी ।
रस चाख्यो विषयन को खारो युगल भजे ना वाणी ।।

कबहुँ हिय प्रेम लौ लागे जगत सों बन्धन जावै ।
कबहुँ जिव्हा नाम रटे युगल को प्रेम हिय माँहि आवै ।।

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