तेरी याद फिर

तेरी याद फिर जहां से दूर खींच लाई मुझे
इश्क़ में नसीब हुई बस एक तन्हाई मुझे

कहाँ मुझे हैं सुहाती वो रँगीन सी महफिलें अब
हर ख़ुशी भी आग बन कभी है जलाई मुझे
तेरी याद फिर.......

तेरे ख्याल मेरे दिल से पल भर न गए
बेखुदी में दुनिया ने दी बस रुस्वाई मुझे
तेरी याद फिर........

पल दो पल को जी लिए तेरे संग ज़िन्दगी अपनी
उसके बाद शीशे में भी परछाई न दिख पाई मुझे
तेरी याद फिर .......

कभी कभी हर और से बरसते हैँ दिल पर पत्थर
फिर बहुत याद आती है तेरी नरमाई मुझे
तेरी याद फिर.......

काश तुम हवा ही होते तेरे बिन ज़िन्दा न रहती
तेरा नाम लिए बिन क्यों इक साँस आई मुझे
तेरी याद फिर जहां से दूर खींच लाई मुझे
इश्क़ में नसीब हुई बस एक तन्हाई मुझे

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