सखी नित करें सिंगार
सखी नित करे सिंगार प्यारी सों नित लावे पुष्पमाल
नित नित प्यारी स्वामिनी सिंदूर साजे भाल
नित नवल वस्त्र आभूषण सों प्यारी को करे सिंगार
नित वेणी माल गूँथे नित दृगन देवे काजर डार
नित कँगन कर माँहि पहिरे नित नुपुर चरण धरे
हिय होवै अति हर्ष जबहुँ प्यारी सिंगार करे
स्वामिनी जू यही लालसा मोहे तव चरण रति दीजौ
सेवा करूँ सुख पाऊँ हिय मोहे निज दासी अपनी कीजौ
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