मथती रहे मथानी
मथती रहे मथानी यसुमती माखन नाहीं आयौ ।
दूध पूत छिपाये राख्यो जग सों नेक बचायौ ।।
माखन लौना मिलिहौ अबहुँ नन्दकुंवर रह्यौ ठाढ़ो ।
माखन बिलौवत विलम्ब भयौ अतिहों होय जाड़ो ।।
माई दीजौ माखन लौना नित काहे सकुचावे ।
नाँहि जानों तेरो लाल तबहुँ नित नित चुराये खावे ।।
लीजो लला अबहुँ माखन लीजो तू होय माखन ते प्यारौ ।
निरख निरख यसुमति लला को होय रही बलिहारौ ।।
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