बहुत ढूँढा तुम्हें
बहुत ढूंढा तुम्हें तुम हो किधर
फिर मिले तुम वहीं देखूं मैं जिधर
हाँ आकाश में इस जमीन पर हो तुम
हो मेरे दिल में भी हर कहीं पर हो तुम
हर देखूं तेरे ही निशान ऐसी दे दी नज़र
बहुत ढूंढा तुम्हें......
मेरे चारों तरफ है हर खुशबू तेरी
तेरी सांसों से चलती दिल की धड़कन मेरी
तुम हो मुझमें ही मैं रही बेखबर
बहुत ढूंढा तुम्हें......
तुमने ही दिया जो तेरा एहसास है
समझी दूर हो तुम तू मेरे पास है
मुझमें ही हो तुम शाम ओ सहर
बहुत ढूंढा तुम्हें .......
बेखुदी में सनम है पुकारा तुम्हें
अपने चारों तरफ फिर निहारा तुम्हें
तुम मुझमे कुछ ऐसे समाये हुए खुद सी रही बेख़बर
बहुत ढूंढा तुम्हें......
Comments
Post a Comment