माई री मैं अपणा प्रीतम पाया
माई री मैं अपणा प्रीतम पाया
सर्वरूप माँहि प्रीतम देख्या सर्व रूप हरिराया
माई री मैं अपणा प्रीतम पाया
मेरो प्रीतम होय नित संगी
गयी मैं प्रीतम रंग माँहि रंगी
कित् बिछडुं अपणे प्रीतम सों मुझमेँ आप समाया
माई री मैं अपणा प्रीतम पाया
निशदिन प्रीतम के गुण गाऊँ
प्रीतम की प्यारी बन जाऊँ
जग अंतर प्रीतम छब देखूँ जगत ना लागे माया
माई री मैं अपणा प्रीतम पाया
हर क्षण प्रीतम प्रेम रह्यो समाई
प्रीत के रंग वारी चुनर रंगाई
रहूँ प्रीतम प्रेम मगन सदा ऐसा बन्ध बनाया
माई री मैं अपणा प्रीतम पाया
सर्वरूप माँहि प्रीतम देख्या सर्वरूप हरिराया
माई री .....
Comments
Post a Comment